श्री रामानन्दाय नमः


श्री अखिल भारतीय श्री पंच रामानन्दी निर्मोही अनि अखाड़ा अयोध्या राम घाट कुम्भ अखाड़ा संचालक श्री महन्त परमात्मादास, मैंने ‘अटल’ कवि बालक दास जी की रचनाएं पढ़ी एवं तरन्नुम में सुनी, हमें बहुत अच्छी लगी, मुझे विश्वास हो गया कि इस नई पीढ़ी के रचनाकार आध्यात्मिक छन्द, भजन रचने वाले स्वान्त सुखाय हेतु ध्यान मुद्रा से अर्जित स्व अनुभवों द्वारा ही सृजन धर्मिता में अनवरत सक्रिय रहते हैं। अनहद की लेखनी करने वाले कवि अपनी ध्यान मुद्रा से ही सब कुछ लिखते हंै।
          अतः मैं और हमारे अखाड़ा परिसद के सभी अनुभवी संत-महापुरुष प्रार्थना करते हैं कि आपकी लेखनी को माता सरस्वती दिन-दूणी रात चैगुणी बढ़ाने की अनन्त अनुकम्पा करेंगी, यही हमारा शुभाशीष है।
महन्त