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योगीराज श्री भेरालाल कुम्हार (भगतजी)

धोती- जब्बा और सफेद पगड़ी पहने, साईकिल चलाने वाले 80 वर्षीय योगीराज, श्री भेरालाल कुम्हार (भगतजी) छींपों का आकोला (चित्तौड़गढ़) गांव में जन-जन के प्रिय हैं। आपके श्वसुर जी के आत्मीय निवेदन पर उदयपुर जिले की वल्लभनगर तहसील के तारावट गांव के निवासी श्री फूलरामजी शर्मा ने योग-साधना का मार्ग दर्शाया । कुम्हार जाति की जाजपुरा गौत्र में जन्मे अध्यात्म मार्ग के इस अथक पथिक की फुलवारी में कुल सात (7) पुष्प खिले इनमें से एक निराले पुष्प पूर्व जन्मों के योगी को , बचपन से ही शंकर नाम से पुकारा जाता था। पिता ने अपनी योग – दृष्टि से बचपन में ही उस बाल योगी को पहचानते हुए योग शिक्षा की प्रारम्भिक जानकारियां देना प्रांरभ कर दिया । बाल्यावस्था में ही लम्बी-लम्बी जटाएं रखना, तिलक माला धारण करना सभी भावी योगी जीवन के लक्षण प्रकट होने लगे । अति साधारण घर में जीवन यापन करने वाले असाधारण योगी श्री भेरालाल कुम्हार का जीवन गृहस्थ आश्रम की विभिन्न दुर्गम घाटियों को पार करता हुआ अध्यात्म मार्ग पर लक्ष्य की ओर अनवरत बढ़ता रहा। आप दयावान, स्वाभिमानी, = तामस प्रकृति मिश्रित व्यक्तित्व के धनी हैं। उदयपुर जिले में स्थित भीण्डर के पास हवना ठिकाना में रहते हुए आपने 5वीं कक्षा तक शिक्षा प्राप्त की । जीवन -संगिनी, बाल- बचे, जातिगत व्यवसाय, कभी भी आपके योगी जीवन में बाधक नहीं हुए।
चमत्कार दिखाना आपके जीवन का लक्ष्य कदापि नहीं रहा । फिर भी कई चमत्कार स्वत: घटित हो गए । विवाह के अवसर पर घर में ढक्कन गिलास सहित जल का भरा हुआ पीतल का कलश स्वत: प्रकट होना, प्रत्यक्ष जीवित नाग की सेवा करना आदि अनेक प्रसंग इस युग की तार्किक बुद्धिको सोचने के लिए बाध्य कर देते हैं। गीता ज्ञान आपके जीवन का प्रमुख आधार रहा। शतायु होने की हार्दिक शुभ कामनाओं के साथ एक नन्हा सा यागी कलमकार आपके चरण कमलों में प्रणाम निवेदन करता हैं |