भाई लगन लगी है


भाई लगन लगी है घणी आशा गुरु बिन होय नहीं रे परकाशा।।टेर।।

सतगुरु किना अमर परकाशा किया भरम का नाशा।
भरम भगाय अंधेरी छिनी करा दिया विश्वासा।।1।।

सतगुरु समझो इन्द्र समाना चमके चन्दा रे पूनममासा।
पूनम तो परिपूर्ण कहाये घट मांई करत निवासा।।2।।

सतुगुरु किना दुरलभ जाणी, जाण शबद लिया खासा।
शब्द परख नर होई गया पारखी कैसा किया रे तमासा।।3।।

जनम मरण रा फन्द छुड़ावे काटकर माया रा फांसा।
जड़ री काया ने चेतन कीनी फरक नहीं रती मासा।।4।।

सतगुरु चरणे शीश झुकावे चरणां में बालक दासा।
अटल शबद की लगन लगाई मेट करी सब आशा।।5।।