संता जोई सोई सतगुरु ध्यावे


संता जोई सोई सतगुरु ध्यावे, ज्यांरो जनम-मरण मिट जावे।।टेर।।

सतगुरु दिनी अमर झड़ी ज्यारो भेद कोई नर पावे।
पाया सो नर अमर कहाया मुरख गोता खावे।।1।।

जैसे पारस छुवत लोहा सोना वण जावे।
सतगुरु ऐसा दिन दयाला अपने समान बणावे।।2।।

जैसे भंवरी किट पकड़ कर अपने ही घर लावे।
तुन तुन कार का शब्द सुना कर संग में ले उड़ जावे।।3।।

जैसे स्वाती नखतर माई शिप मुख नीर भरावे।
एक पखवाड़ा पाकण लागा नीर मोती बन जावे।।4।।

सतगुरु महिमा वरणी जावे गावे सो फल पावे।
अटल शब्द सत गुरांरा लागा सुनिया भरम भग जावे।।5।।