गुरु गुण गावणा


गुरु गुण गावणा रे, साधु भाई जीवणो हे दिन चार।।टेर।।

सतगुरु आया पावणा रे कांई करुं मनवार।
आती जाती सुरतां रे हुई घोड़े असवार।।1।।

सतगुरु कीड़ा भामरी रे पकड़ करे रणुकार।
रूप आपरो दे हमजावे सदा उड़ावे लार।।2।।

काया नगर रे मांयने रे नौ दस लागे द्वार।
दस द्वारा रे बीच में राज करे सरकार।।3।।

सतगुरु पारस खान है रे महिमा अपरम्पार।
छुवत लोहा कंचन होवे कटे सभी विकार।।4।।

ष्अटलष् हरिगुण गावणा रे होवेंला भव पार।
गुरु चरण में बालक रिजे मेटेला अंधकार।।5।।