चदर मारी रंग दिनी



चदर मारी रंग दिनी गेरी गुरांसा ने लिनो हेरी।।टेर।।

चरण चित्त आपके लागा काया को जाय के हेरी।
भजन मन मौज से गावे शब्द कि देखली ढ़ेरी।।1।।

प्रभु की याद जब आई गुरु ने किदी ना देरी।
तभी प्रभु छोड़ दी माया, काया आय के घेरी।।2।।

बना के तत्व का पिंजरा, गुणो की दे दिनी फेरी।
तभी तक जिव की काया नहीं मेरी नहीं तेरी।।3।।

कारीगर काया को जाणो केसो है मन को लेरी।
रंगी रंग रंग से न्यारी अंत में राख की ढेरी।।4।।

चदर जो देख के भूले बालक या माया है बेरी।
अटल में आपके चरणे क्षुधा क्या होता है जेरी।।5।।