सतगुरु आया पावणा


सतगुरु आया पावणा रे भरम भगााये मारो।।टेर।।

अणि काया में जोत जगाई अमर जोत है वाही।
त्रिवेणि पर नाया धोया वोही गाँव है म्हारो।।1।।

ब्रम्हा विष्णु शंकर देवा तिनो काया माई।
उनसे आगे बाबो नाचे नाही पांव पसारो।।2।।

बिना मुख से बात करे है ओर बजे सहनाई।
बिना आँख से वेद पढ़े हैं भेद बतावे सारो।।3।।

शंख चक्र ओर गदा पदम है विष्णु हाथां माई।
उणसे आगे चार सुन्न है वहाँ पे चमके तारो।।4।।

अटल शब्द मारे हिरदे लागा बालक ने गम पाई।
अणि शब्द रो ध्यान लगावे तरवारो है वारो।।5।।