आओ जी गुरुदेव संगत


आओ जी गुरुदेव संगत में तुम बिन सुनो काज
आज तुम आओ जी।।टेर।।

सबसे प्रथम दाता तुमको मनाऊँ
चरणों में दण्डवत शीश झुकाऊँ
मंगल गाउं, अरज सुणाऊँ सुणकर रख दो लाज।।1।।

गंगा जल से दाता चरण पखारूं
प्रेम मगन मैं गले उतारूं
धूप जलाऊँ पूजा कराऊँ आप मेरा सरताज।।2।।

धन और माल दाता मैं नाहीं चाऊँ
गज और बाजी धन से मैं ना रिझाऊँ
मुझे अमोलक ऐसा धन दो ना आये आवाज।।3।।

घड़ी और पलभर तुम्हे ना बिसराऊँ
बालक चरणों में अटल मनाऊँ
मानो जी गुरुदेव सभा में अरजी सुनलो आज।।4।।