मारा सतगुरु
जग से
न्यारा।
ज्याने नमण
करूं बारंबारा।।
गुरु पांच
तत्व गुण
सारा।
म्हाने खोल
बताया बिस्तारा।
जठे देव
दर्श अपरं
पारा।।
गुरु हर
लिना अंधियारा।
गुरु सुखमण
सेज संवारा।।
होय जठे
गुरुजी असवारा।
गुरां घाट
त्रिवेणी जाय
नहाता।
वठे हुआ
भरम सब
न्यारा।।
गुरां भव
जल आप
उबारा।
गुण गावे
बालक थारा।।