शबद हरदे लागाजी


शबद हरदे लागाजी चैखा ब्रह्म ज्ञान।
चैखा ब्रह्म ज्ञान उजला आतम ज्ञान।।टेर।।

सुरत शबद रो आंतरो है किना एकाकार।
नुरतां ने भी किनी संग में कर घोड़े असवार।।1।।

आप बिना कोई ना जग में मैं तो हूँ निराधार।
सतगुरु मारा दीन दयाला करजो बेड़ा पार।।2।।

आप गुणा री खान दाता मुझ में ओगुण अपार।
कृपा करो गुरु देव जी काटो सभी विकार।।3।।

आप चन्दन रा पेड़ हो जी लिपटे जेरी हजार।
कम ना होवे महक आपरी यो ही करां विचार।।4।।

बिना चोट दरद कालजे सतगुरु करे उपचार।
बालकदास गुरां रे चरणे अटल समाचार।।5।।