काया रा भेद बतावे


काया रा भेद बतावे रे सतगुरु योग निदान।
सतगुरु योग निदान मारा धनगुरु ब्रह्म समान।।टेर।।

मन माया री मौज में है जीव ब्रह्म आधीन।
करमेन्द्रियां रे साथे मन है नाग संग नागिन।।1।।

रसना ऊपर षटरस किना तालु अमिरस धार।
षटरस का एकरस करके फिर लेना आहार।।2।।

साढ़े चार सौ एक चाल में तत्वों की है चाल।
पांच रंग तत्वों का जाणो, देखो स्वर का हाल।।3।।

स्थूला सूक्ष्म कारण है महाकारण का ज्ञान।
केवल पद पर आप निरंजन करना उनका ध्यान।।4।।

अटल रहे कोई योग निष्ठ हो पूरे उनकी आस।
निस्काम से करलो भक्ती चरणे बालक दास।।5।।